दहशत में है जिंदगी.........
कल फिर से दिल्ली आतंकी धमाके से दहल गई.................... सड़क खून से तर हो गई और टी .वी चैनलों में सारा दिन ख़बरों का ताता लगा रहा , मरने वालों की संख्या गिनी जा रही थी और जो बुरी तरह से जख्मी थे उनकी भी गिनती हो रही थी टी.वि चिनल वाले जिस तरह उन मार्मिक दृश्यों को बार बार दिखा रहे थे वे इन्सान के अंदर की संवेदना की खत्म कर देने के लिए काफी है. बाद में नेता लोग जिस तरह से घायलों के प्रति अपनी संवेदना दिखने अस्पतालों में गए वो इंसानियत को शर्मा देने के किये काफी है. हमारे देश के नेता जिस मोती चमड़ी के बने है उससे शर्म भी शर्मिंदा जो जाये.
नेताओं को जब आम आदमी आतंक का शिकार होता है और मौत के मुह में चला जाता है तब उसे याद आता है की वह जाकर उस परिवार की सुध ले जब तक यही चोट इन नेताओं नहीं लगेगी वो आम आदमी दर्द को नहीं समझेगा.